बड़ी बारीकी से तोड़ा है
उसने दिल का हर कोना,
सच कहुँ तो मुझे उस के
हुनर पे नाज़ होता हैं ....!
हुनर पे नाज़ होता हैं ....!
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"All knowledge that the world has ever received comes from the mind;
the infinite library of the universe is in our own mind."
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मछलियाँ यह सुनकर बहुत ही खुश हो गई दोस्त कि,
अब आदमी ही फंसाने लगा है आदमी को जाल मैं ...!!
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आईने के सामने सजता सँवरता है हर कोई~~
मगर आइनों सी साफ
जिन्दगी जीता नहीं हैं कोई...!!!
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यदि पेड़ों से wi-fi के सिग्नल मिलते,
तो हम खूब पेड़ लगाते।
अफसोस कि वे हमें आक्सीजन देते हैं,
जो केवल जीने के काम आती है।.....
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Sirf ek ehsaas karne ka andaaz badal jaya karte hai,
Varna aanchal aur kafan ek hi dhaage se bante hai......
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न तो अनपढ़ ही रहा और न ही क़ाबिल हुआ l
मैं ख़ामखा ए इश्क तेरे स्कूल में दाख़िल हुआ ll☺☺
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इंसानी फ़ितरत ने इश्क़ को बदनाम कर दिया,
वरना इश्क़ तो आज भी राधा और श्याम ही ढूंढता है...
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एक युवक....
मैं तकरीबन 20 साल के बाद विदेश से अपने शहर लौटा था!
बाज़ार में घुमते हुए सहसा मेरी नज़रें सब्जी का ठेला लगाये एक
बूढे पर जा टिकीं,
बहुत कोशिश के बावजूद भी मैं उसको पहचान नहीं पा रहा था !
लेकिन न जाने बार बार ऐसा क्यों लग
रहा था की मैं उसे बड़ी अच्छी तरह से जनता हूँ !
मेरी उत्सुकता उस बूढ़े से भी छुपी न रही ,
उसके चेहरे पर आई अचानक मुस्कान से मैं समझ
गया था कि उसने मुझे पहचान लिया था !
काफी देर की जेहनी कशमकश के बाद जब
मैंने उसे पहचाना तो मेरे पाँव के नीचे से
मानो ज़मीन खिसक गई !
जब मैं विदेश गया था तो इसकी एक बहुत
बड़ी आटा मिल हुआ करती थी नौकर चाकर
आगे पीछे घूमा करते थे !
धर्म कर्म, दान पुण्य में सब से अग्रणी इस दानवीर पुरुष को मैं
ताऊजी कह कर बुलाया करता था !
वही आटा मिल का मालिक और
आज सब्जी का ठेला लगाने पर मजबूर?
मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके पास
जा पहुँचा और बहुत मुश्किल से रुंधे गले से पूछा :
"ताऊ जी, ये सब कैसे हो गया?"
भरी ऑंखें लिए मेरे कंधे पर हाथ रख उसने उत्तर दिया:-
"बच्चे बड़े हो गए हैं बेटा".
Woh mehendi wale hath dikha kar royi
Ab mai hoon kisi aur ki yeh bata kar royi
Pehle kehti thi ki nahi jee sakti tere bin
Aaj firse woh baat dohra kar royi
Kaise kar loon uski mohabbat pe shak yaaron
Woh bhari mehfil mein mujhe gale laga kar royi.
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तौहीन ना कर शराब को कड़वा कह कर,
जिंदगी के तजुर्बे शराब से भी कड़वे होते है...
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बोतल में बंद थी तो किस कदर ख़ामोश थी...
जो अंदर गई कमबख़्त तो बवाल हो गयी
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नक़ाब क्या छुपाएगा शबाब-ए-हुस्न को;
निगाह-ए-इश्क तो पत्थर भी चीर देती है..
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एक आदमी स्कूटर पर बैठ कर पिक्चर हाल के सामने संता से पूछ बैठा :-
आदमी :- भाईसाहब , स्कूटर स्टैंड कहाँ है ?
संता :- भाईसाब , पहले आप अपना नाम बताइये ?
आदमी :- रमेश !
संता :- आपके माता पिता क्या करते हैं ?
आदमी :- क्यों ? वैसे भाईसाब मैं , लेट हो जाऊंगा और पिक्चर शुरू हो जाएगी !
संता :- तो जल्दी बताओ ??
आदमी :- मेरी माँ , एक डॉक्टर हैं और मेरे पिता जी इंजीनियर हैं ! अब बता दीजिये ?
संता :- आपके नाम कोई जमीन जायजाद है ?
आदमी :- हाँ , गांव में एक खेत मेरे नाम है ? प्लीज़ भाईसाब अब बता दीजिये स्कूटर का स्टैंड कहाँ है ?
संता :- आखिरी सवाल , तुम पढ़े लिखे हो ?
आदमी :- जी हाँ ! मैं, MBA कर रहा हूँ ! अब बताइये जल्दी से !
संता :- भाईसाब , देखिये आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि इतनी अच्छी है , आपके माता पिता दोनों उच्च शिक्षित हैं ,
आप खुद भी इतने पढ़े लिखे हैं ,
पर मुझे अफ़सोस है कि आप इतनी सी बात नहीं जानते कि
"स्कूटर का स्टैंड उसके नीचे लगा होता है ,
एक मेन और एक साइड वाला !"...
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