जापानियों ने महिला को बचाने के लिए ट्रेन झुका दिया ::
जापान यू हीं हर क्षेत्र आगे नहीं है....।
याद कीजिए वो दिन जब दिल्ली रेलवे स्टेशन पर राजस्थान का एक शख्स जल्दी से ट्रेन पकड़ने के चक्कर में गिर पड़ा। वो ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच में फंस गया। उसका पांव डब्बे के पायदान से फिसल गया था। वह शख्स ढाई घंटे तक फंसा रहा। बेशक भारतीय रेलवे ने इतनी मेहरबानी की कि ट्रेन को आगे नहीं बढ़ाया। लेकिन जब तक रेलवे के अधिकारी कटर लेकर आते तब तक करीब ढ़ाई घंटे तक वो फंसा रहा।
रेलवे प्लेटफार्म पर जितने भी यात्री थे वो सभी तमाशबीन बने रहे। जब तक उस शख्स को बाहर निकाला जाता तब तक उसकी जान जा चुकी थी। ये हमारी सरकारी लापरवाही और नागरिकों के गैर-जिम्मेदाराना रवैये और असंवेदनशीलता की तरफ भी इशारा करता है।
अब जरा जापान की खबर देखिए। जापान के जेआर मिनामी-उरूआ स्टेशन पर एक महिला गलती से ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच के 20 सेंटीमीटर के फासले में गिर पड़ी। जापानी अधिकारियों ने फौरन कार्रवाई करते हुए इसकी घोषणा कर दी कि एक महिला फंस गई है। पता है लोगों ने क्या किया..?
40 से 45 यात्रियों ने मिलकर 32 टन की उस ट्रेन की बॉगी को घक्का देकर एक तरफ झुका दिया। वो महिला को निकालने में सफल हो गए। महिला को खरोंच भी नहीं आई थी। जब महिला बाहर निकली तो उसे सकुशल देखकर प्लेटफॉर्म पर खड़े सभी यात्रियों और उन 40 रणबांकुरों ने ताली बजाई। हम उसे निश्चित तौर पर मानवता की कह सकते है।
30 साल की उस जापानी महिला की जान बच गई और ट्रेन मात्र 8 मिनट की देरी के बाद अपने गंतव्य स्थान की तरफ चल पड़ी।
"सच कडवा होता है पर
शायद सच यही है के हम मानवता को कहीं पीछे छोड़ आये हैं "